Friday, February 8, 2019

के. वि. की यादें

ये के.वि. ना होता, तो न होती ये बातें, न होते किस्से प्रेयर से, बचने के लिए क्लास में छुपना, वो झूठे बहाने से क्लास बंक कर, कैम्पस में घूमना, वो क्लास की मस्तियां, एक दूसरे को चिढ़ाना,नाम रखना वो टीचरों की डांट और सराहना, कभी न भूल पाएंगे, वो प्रिंसिपल सर की चुप्पी वाली डांट और कमल सर का दोस्ती वाला व्यवहार, कभी न भूल पाएंगे। वो दीपक सर के फिल्मी डायलॉग और ममसाद सर की मुस्कान और छुपे हुए कवि को, कभी न भूल पाएंगे। वो नेहा मैम का आईआईटी वाला दिमाग और दूसरी नेहा मैम का खुशमिजाज चेहरा, कभी न भूल पाएंगे। वो सतीश सर का हिंदी पढ़ने का लहजा और वीरेन्द्र सर का अपन बोलने का तरीका, कभी न भूल पाएंगे। वो पी टी आई सर का चेती बजाना और रवि सर का जिंदगी जीने का तरीका, कभी न भूल पाएंगे। वो मित्तल सर का हर विषय में ज्ञाता होना और रमेश सर का बुक इश्यू करना, कभी न भूल पाएंगे। के.वि. बिताए ज़िन्दगी के ये सुहाने पल, कभी न भूल पाएंगे।